नागरिकता संशोधन क़ानून का कांग्रेस विरोध कर रही है, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह सदन में नेहरू, पटेल, गांधी और मनमोहन सिंह को क्वोट करते हुए यह साबित कर चुके हैं कि इन सभी नेताओं ने पाकिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में शरण देने का समर्थन किया था। अतः आज कांग्रेस द्वारा इस क़ानून के विरोध के पीछे उसकी पाखण्डी राजनीति ही दिखती है। प्रधानमंत्री ने इस पाखण्ड को ही लक्ष्य करते हुए यह सवाल किया है कि क्या कांग्रेस पाकिस्तान के हर नागरिक को नागरिकता देने का वादा कर सकती है।
अभी देश में नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर सरगर्मी है। इस क़ानून पर चल रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन से इतर कांग्रेस आदि विपक्षी दलों का रवैया भी चिंतित करने वाला है। ऐसे में कल प्रधानमंत्री मोदी ने झारखंड के बरहेट में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस से कई सवाल पूछे।
संसद से सड़क तक नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में खड़ी कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि कांग्रेस बताए कि क्या वो पाकिस्तान के सभी नागरिकों को शरण देगी? मोदी ने दूसरा सवाल पूछा कि क्या कांग्रेस अनुच्छेद-370 को फिर से लागू करने का ऐलान कर सकती है? मोदी का अगला सवाल था कि क्या कांग्रेस फिर से तीन तलाक को बहाल करने की घोषणा कर सकती है? जाहिर है, अपने इन सवालों के रूप में एक तरह से प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के सामने चुनौती पेश की है, जिसका जवाब उसे देना चाहिए।
आज प्रियंका गांधी ने अपनी एक जनसभा में अन्य विषय गिनाते हुए प्रधानमंत्री पर हमले तो किए लेकिन इन सवालों पर कुछ नहीं कह सकीं। देखा जाए तो प्रधानमंत्री के ये सवाल कांग्रेस को बेहद असहज करने वाले हैं, क्योंकि जिन मुद्दों की बात प्रधानमंत्री ने की है, उन्हें लेकर कांग्रेस का रुख स्पष्ट नहीं रहा है।
नागरिकता संशोधन क़ानून का कांग्रेस विरोध कर रही है, लेकिन गृहमंत्री अमित शाह सदन में नेहरू, पटेल, गांधी और मनमोहन सिंह को क्वोट करते हुए यह साबित कर चुके हैं कि इन सभी नेताओं ने पाकिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत में शरण देने का समर्थन किया था। अतः आज कांग्रेस द्वारा इस क़ानून के विरोध के पीछे उसकी पाखण्डी राजनीति ही दिखती है। प्रधानमंत्री ने इस पाखण्ड को ही लक्ष्य करते हुए यह सवाल किया है कि क्या कांग्रेस पाकिस्तान के हर नागरिक को नागरिकता देने का वादा कर सकती है।
अनुच्छेद-370 हटाने की बात भाजपा के घोषणापत्र में लम्बे समय से थी जिसे उसने पूरा किया। कांग्रेस द्वारा संसद में इसका विरोध किया गया जिसका अर्थ यही है कि वो अनुच्छेद-370 को जारी रखने के पक्ष में है। लेकिन इसपर कभी उसने अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया, बल्कि ‘सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की’ जैसे जुमलों से सरकार का विरोध ही करती रही है। अगर वो इसे हटाने का विरोध कर रही है, तो क्या खुद मौका मिलने पर इसे लागू करने की घोषणा कर सकती है? प्रधानमंत्री ने यही स्पष्ट करने को कहा है जिसका कांग्रेस के पास शायद ही कोई जवाब हो। तीन तलाक मामले पर भी कांग्रेस का यही हाल है।
कुल मिलाकर कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री के ये सवाल और इनपर कांग्रेस की खामोशी, उसके सत्ता को सर्वोपरि मानने वाले विचारविहीन और पाखंडपूर्ण राजनीतिक चरित्र की ही कलई खोलती है। लेकिन अब उसका खेल पूरी तरह से खुल चुका है और लोग वास्तविकता समझने लगे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)