हाल के कुछ दिनों में ही राशन घोटाला, श्रमिक कल्याण बोर्ड में 139 करोड़ का घोटाला, सीसीटीवी घोटाला जैसे आरोप केजरीवाल सरकार पर लगे हैं। राशन कार्ड घोटाला कैग ने उजागर किया। लेबर वेलफेयर घोटाले में एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। सीसीटीवी घोटाला विपक्षी दलों द्वारा उठाया जा रहा है। परन्तु, इतने आरोपों के बाद भी अरविन्द केजरीवाल सन्नाटा मारे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे हुए हैं।
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल दिल्ली की सता पर पिछले तीन साल से काबिज हैं। 2015 में मतदाताओं ने उनके भ्रष्टाचार विरोधी और लोक कल्याण समर्थक वादों से प्रभावित होकर उन्हें भारी-भरकम बहुमत देकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था। लेकिन, तीन सालों से अधिक के अपने कार्यकाल में केजरीवाल की सरकार अपने काम के लिए नहीं, कारनामों के लिए ही चर्चा में रही है। वास्तव में, इस सरकार ने काम के नाम पर कुछ किया ही नहीं है, केवल कारनामे ही किए हैं।
गत तीन सालों में ऐसे अनगिनत मामले सामने आए हैं, जिन्होंने इस पार्टी की कथनी और करनी के अंतर को उजागर करने का काम किया है। केंद्र व राज्यपाल के संग फिजूल की खींचतान हो या कार्यों की अनियमितताओं हों अथवा अंदरूनी अंतर्कलह हो, ये पार्टी विवादों और सवालों के अलावा तीन साल में कुछ भी हासिल नहीं कर सकी है। जो वादे केजरीवाल ने किए थे, अब उनमें से ज्यादातर वादों का नाम तक पार्टी का कोई नेता नहीं लेता। जिस लोकपाल की मांग ने इस पार्टी को आकार दिया, इस सरकार में उस लोकपाल की चर्चा तक सुनाई नहीं देती।
देखा जाए तो भ्रष्टाचार विरोधी अन्ना आन्दोलन से उपजी इस पार्टी की सरकार तीन साल में ही भ्रष्टाचार के अनेक आरोपों से घिर गयी है। हालत ये है कि एक आरोप की जांच शुरू होती नहीं कि दूसरा सामने आ जाता है। हाल के कुछ दिनों में ही राशन घोटाला, श्रमिक कल्याण बोर्ड में 139 करोड़ का घोटाला, सीसीटीवी घोटाला जैसे घोटालों के आरोप केजरीवाल सरकार पर लगे हैं। राशन कार्ड घोटाला कैग द्वारा उजागर किया गया गया। लेबर वेलफेयर घोटाले में एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है। सीसीटीवी घोटाला विपक्षी दलों द्वारा उठाया जा रहा है। परन्तु, इतने आरोपों के बाद भी केजरीवाल सन्नाटा मारे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर जमे हुए हैं।
अन्य दलों के तमाम नेताओं को भ्रष्ट बताकर उनसे जब-तब इस्तीफा मांगने वाले केजरीवाल भ्रष्टाचार के इतने आरोपों के बाद भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा क्यों नहीं देते ? भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति की ढोल पीटने वाले केजरीवाल को क्या इन घोटालों के आरोपों की जांच होने तक के लिए अपना पद छोड़ नहीं देना चाहिए ? दूसरों पर केजरीवाल कभी यही सब सवाल उठाते रहते थे, अब उन्हें उनकी सरकार पर लगे आरोपों के सम्बन्ध में इन सवालों का जवाब देना चाहिए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)