यह कानून उन अपराधियों के लिए है, जो नाम बदलकर बेटियों को बहकाते हैं और उनका मतांतरण करवाते हैं। निश्चित ही इस कानून से महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी और प्रेम के नाम पर उनके साथ धोखा करने वाले जिहादियों पर लगाम लगेगी।
8 मार्च को जहां पूरे देश व दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा था, वहीं राष्ट्र के हद्यस्थल मध्य प्रदेश में यह दिन राज्य सरकार के एक महत्वपूर्ण निर्णय से सार्थक हुआ। महिलाओं के सम्मान एवं संरक्षण का मंतव्य यहां उस दिन नए अर्थ पा गया।
मध्य प्रदेश विधानसभा सभा द्वारा ‘धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक’ ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके चलते अब प्रदेश में किसी भी महिला, नाबालिग, अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण करवाने पर कम से कम दो और अधिकतम 10 साल का कारावास तथा कम से कम 50 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा। सामूहिक मतांतरण, दो या दो से अधिक व्यक्तियों का एक ही समय मतांतरण अध्यादेश के प्रावधानों के विरुद्ध होगा।
उल्लंघन पर कम से कम पांच और अधिकतम 10 साल का कारावास तथा कम से कम एक लाख रुपये का अर्थदंड लगाया जाएगा। इसके तहत दर्ज अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा। इसकी सुनवाई सत्र न्यायालय में होगी। मतांतरण करवाने वाली संस्था के सदस्यों के खिलाफ भी व्यक्ति द्वारा किए गए अपराध के समान ही सजा दी जाएगी।
कहना ना होगा कि यह लव जिहाद नामक समाज में पसर रहे भयानक अपराध की रोकथाम का प्रावधान है जो कि नारियों के लिए सच्ची आदरांजलि साबित होगा। बेटियां किसी भी प्रदेश की हों, उन्हें बुरे तत्वों से बचाना हर सरकार का दायित्व है। महिलाओं की स्वतंत्रता के अधिकार को अब मप्र, यूपी जैसी राज्य सरकारें सशक्त कर रही हैं। देश में स्वतंत्रता और संस्कृति की रक्षा भाजपा करती ही रही है।
यदि मंशा गलत नहीं है तो इस कानून से किसी को डरने की जरूरत क्या है। अपने-अपने धर्म का पालन करने के लिए सभी स्वतंत्र हैं। आश्चर्य है कि इस नेक काम में पूर्ववर्ती सरकारों को इतना समय क्यों लग गया। या यूं कहें कि उन्होंने कभी इस दिशा में प्रयास करना तो दूर, सोचा तक नहीं।
विपक्षी दल कांग्रेस की नीयत का पता तो इसीसे चलता है कि जब मध्य प्रदेश विधानसभा में यह विधेयक ध्वनिमत से पारित किया जा रहा था तब वो इसके प्रावधानों का विरोध करने में लगी थी। यह जानकर ही हैरत होती है कि ऐसे सुधारात्मक विधेयक का भी विरोध हो सकता है। लेकिन कांग्रेस के साथ कभी कुछ असंभव नहीं।
चूंकि उक्त विधेयक बेटियों को अपराधियों से बचाने के लिए है, ऐसे में कांग्रेस का इसका भी विरोध करना यही संदेश देता है कि कांग्रेस अपराधियों के पक्ष में है। केवल विरोध करने के लिए वह किसी भी बात का विरोध कर गुजरेगी, भले ही वह सार्वभौमिक हित की बात हो। इस विरोध करने की प्रवृत्ति एवं घटना से एक और बात पता चलती है कि आखिर लव जिहाद का कांग्रेस ने अपने शासन के दौरान कभी उल्लेख क्यों नहीं किया।
चाहें वह केंद्र में सत्ता में रही हो या राज्य में, कभी भी इस सामाजिक बुराई नाम नहीं लिया गया। अब चूंकि देश बदल रहा है, जनता जाग रही है, ऐसे में मज़हब विशेष द्वारा हिंदू समुदाय की युवतियों को लव जिहाद के नाम पर बरगलाना, धर्म परिवर्तन कराना, दुष्कर्म करना, हत्या करना आदि उजागर हो गया है। आए दिन हम इस तरह की खबरें सुनते एवं पढ़ते रहते हैं। सभी राज्यों में यह संगठित एवं सुनियोजित अपराध लंबे समय से चला आ रहा है। इस पर कांग्रेस सरकारों के मौन के पीछे उनकी वोट बैंक की राजनीति ही कारण रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार की सराहना होना चाहिये कि वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बुराई को जड़ से पकड़ा एवं मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित रूप से कानून बनाकर लागू कर दिया। इसी की तर्ज पर मध्य प्रदेश में अब यह विधेयक पारित हो चुका है। दोनों राज्यों में इस कानून में दंड के कड़े प्रावधान किए गए हैं। यही बात कांग्रेस को हजम नहीं हुई।
क्या कांग्रेस चाहती है कि लव जिहाद नामक घिनौनी अपसंस्कृति फले फूले एवं देश में अधिक से अधिक अराजकता फैले ?
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तो खुलेआम हिंदू युवतियों के मंदिर जाने को लेकर अभद्र टिप्पणी कर चुके हैं। राहुल गांधी अकेले नहीं हैं, समूची कांग्रेस एवं विपक्ष की मानसिकता सदा से हिंदुत्व को आघात पहुंचाने वाली रही है।
यही कारण है कि कांग्रेस ने आश्चर्यजनक रूप से धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक को भी गैर जरूरी बताते हुए इसके प्रावधानों का विरोध किया। यानी यहां भी कांग्रेस की देश विरोध मानसिकता उजागर हो गई। भाजपा विधायकों ने इसे बेटियों की सुरक्षा के लिए उठाया गया आवश्यक कदम बताया।
गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कांग्रेस पर मुसलमानों में भ्रम पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि हम लव के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन लव के नाम पर होने वाले जिहाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
दरअसल कांग्रेस हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है और इसके पीछे उसने हमेशा विभाजनकारी काम किया है। इसी कारण वो इन कानूनों के विरोध में लगी है, अन्यथा इनका महत्व और आवश्यकता कोई छिपी बात नहीं है। पहले के कानूनों में बचने का रास्ता था। ऐसे में अपराधी बच निकलते थे। थानों से जमानत लेकर फिर उसी काम में लग जाते थे। उन्हें सजा मिले, इसलिए कड़े प्रविधानों के तहत यह कानून लाया गया है। इन कानूनों का विरोध कांग्रेस की नीयत पर गहरे सवाल खड़ा करता है।
यह कानून उन अपराधियों के लिए है, जो नाम बदलकर बेटियों को बहकाते हैं और उनका मतांतरण करवाते हैं। निश्चित ही इस कानून से महिलाओं को सुरक्षा मिलेगी और प्रेम के नाम पर उनके साथ धोखा करने वाले जिहादियों पर लगाम लगेगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)