सीमा पार पाकिस्तान में बैठकर आतंकी कैंप चलाने वालों को सन्देश चला गया है कि भारतीय सेना के लिए अब कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं। यह इस स्ट्राइक का एक प्रमुख मकसद था। अभी तक यही हो रहा था कि पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के अन्य भागों में पाकिस्तानी सेना आईएसआई के समर्थन से आतंकी कैंप लगाती रही थी और समय-समय पर उन्हें भारतीय सीमा में धकेल दिया जाता था। परन्तु अब पाकिस्तान ऐसा करने से पहले सौ बार सोचेगा।
पुलवामा हमले के बाद भारतीय सेना ने नियंत्रण पार कर आतंकी ट्रेनिंग कैम्पों पर हमला कर खलबली मचा दी। 26 फरवरी की सुबह भारतीय वायु सेना ने अपने मिराज़ 2000 लड़ाकू विमानों की मदद से नियंत्रण रेखा को पार किया। अगले 19 मिनट तक भारतीय सेना आतंकी ठिकानों पर बम बरसाती रही। इन हमलों का निशाना थे, जैश-ए-मुहम्मद के 6 आतंकी ठिकाने।
हमले के अगले दिन भारतीय मीडिया में अपुष्ट सूत्रों के हवाले से खबर आने लगी कि हमले में 300 से ज्यादा आतंकी मारे गए।अगले कई दिनों तक यह सूचना भारतीय मीडिया की सुर्खियाँ बनी रही। चारों तरफ भारतीय वायु सेना की वाहवाही होती रही।कुछ विपक्षी दलों ने ऊंचे स्वरों में और कुछ ने दबे स्वरों में सैन्य बलों के लिए अच्छी बातें लिखीं और कहीं।
लेकिन जब उन्हें लगा कि इसका बड़ा श्रेय पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को जाना तय है, तो विपक्षी दलों ने जल्द-ही अपना असली रंग भी दिखाना शुरू कर दिया। ममता बनर्जी से लेकर कांग्रेस के कई नेताओं ने यह सवाल करना शुरू किया कि सरकार एयर स्ट्राइक के सबूत क्यों नहीं दे रही है। लगा था कि पिछली सर्जिकल स्ट्राइक पर सबूत मांगने वाले विपक्ष को अबकी अपनी गलती का एहसास होगा, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा।
विपक्ष की तरफ से हमले के मकसद और सफलता पर प्रश्न उठाये जाने लगे हैं। कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल इस वक्त नंबर गेम में फंस गए हैं, जबकि हकीकत यह है कि वायुसेना का मकसद सिर्फ़ आतंकी ठिकानों पर हमला करना था, इसमें कितने आतंकी मारे गए, इसकी गणना करने हमारी सेना वहाँ नहीं गयी थी। हालांकि एनटीआरओ के मुताबिक हमले के वक़्त बालाकोट के उस ठिकाने में लगभग 300 मोबाइल सक्रिय थे। इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि जितने आतंकियों के मारे जाने की सूचना सामने आ रही, वो करीब-करीब सही है।
वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने स्पष्ट करते हुए कहा कि सेना का काम हमला करना है, लाशें गिनना नहीं।वायु सेना ने अपने निशाने पर हमला किया। अपने टारगेट को खत्म किया। सेना का काम यहीं ख़त्म हो जाता है। विपक्ष को इससे ही सन्देश मिल जाना चहिये कि इस मुद्दे पर सियासत नहीं होनी चाहिए।
सीमा पार पाकिस्तान में बैठकर आतंकी कैंप चलाने वालों को सन्देश चला गया है कि भारतीय सेना के लिए अब कुछ भी नामुमकिन नहीं हैं। यह इस स्ट्राइक का एक प्रमुख मकसद था। अभी तक यही हो रहा था कि पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के अन्य भागों में पाकिस्तानी सेना आईएसाआई के समर्थन से आतंकी कैंप लगाती रही थी और समय-समय पर उन्हें भारतीय सीमा में धकेल दिया जाता था। परन्तु अब पाकिस्तान ऐसा करने से पहले सौ बार सोचेगा। इस हमले से पहले ऐसी भी खबरें सामने आई थीं कि भारतीय सेना के डर से बहुत से से आतंकी कैम्पस भारतीय सीमा से दूर हटा लिए गए थे। लेकिन फिर भी वह वायु सेना के राडार से बच नहीं पाए।
जाहिर है कि हमले के उन 19 मिनटों में लेज़र गाइडेड बमों की मदद से आतंकियों के ठिकानों को निशाना बना गया। हमले के बाद इस हमले के सबूत दिखाने की मांग गलत है। वायुसेना को हक़ है कि वो तस्वीरे आदि सबूत कब दिखाए या नहीं दिखाए। विपक्ष को सेना पर अविश्वास की यह राजनीति कर दुश्मनों को मौका देने से बाज आना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)