तथ्यों की बात करें तो एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार कमलनाथ ने जो कर्जमाफी की है, उसका लाभ राज्य के नब्बे हजार किसानों को नहीं मिलेगा क्योंकि इस कर्जमाफी के लिए जो अहर्ता सुनिश्चित की गयी है, वे किसान उसको पूरा नहीं करते। मध्य प्रदेश सरकार ने अल्पावधि का कर्ज माफ़ किया है, जबकि ये किसान मध्यावधि और दीर्घावधि के अंतर्गत आते हैं।
मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का गठन हो चुका है। मुख्यमंत्री बनते ही कमलनाथ ने पार्टी के बड़े चुनावी वादे किसान कर्जमाफ़ी का ऐलान भी कर दिया है। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस द्वारा जारी वचन-पत्र से लेकर राहुल गांधी के भाषणों तक में कर्जमाफी का वादा प्रमुखता से दिखाई दिया था। जाहिर है, कांग्रेस पर इस वादे को पूरा करने को लेकर भारी दबाव था। सो कर्जमाफी का ऐलान तो कर दिया गया है। लेकिन इस कर्जमाफी पर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
तथ्यों की बात करें तो एक प्रमुख दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट के अनुसार कमलनाथ ने जो कर्जमाफी की है, उसका लाभ राज्य के नब्बे हजार किसानों को नहीं मिलेगा क्योंकि इस कर्जमाफी के लिए जो अहर्ता सुनिश्चित की गयी है, वे किसान उसको पूरा नहीं करते। मध्य प्रदेश सरकार ने अल्पावधि का कर्ज माफ़ किया है, जबकि ये किसान मध्यावधि और दीर्घावधि के अंतर्गत आते हैं।
दूसरी चीज कि सरकार ने कर्जमाफी की सीमा दो लाख तक निर्धारित की है। इस तरह से भी कई किसान इस श्रेणी से बाहर हो जाते हैं। अब सवाल यह है कि चुनाव से पूर्व मंच से कर्जमाफी का वादा करते वक्त राहुल गांधी या किसी कांग्रेसी नेता द्वारा इन शर्तों के विषय में क्यों नहीं बताया गया था? तब तो कांग्रेस अध्यक्ष यह गर्जना कर रहे थे कि कांग्रेस की सरकार आई तो दस दिन के भीतर किसानों का कर्ज माफ़ कर दिया जाएगा।
इस वक्तव्य में कर्जमाफी के साथ जुड़ी शर्तों का तो कोई जिक्र ही नहीं था। जो वचन-पत्र मध्य प्रदेश कांग्रेस की वेबसाइट पर उपलब्ध है, उसमें भी ऐसी शर्तें नहीं लिखी हैं। ऐसे में इस कर्जमाफी के बाद राज्य के बहुत-से किसान ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं। पिछले दिनों खबर आई कि राज्य के एक किसान ने कथित तौर पर कर्जमाफी के दायरे में न आने के कारण आत्महत्या कर ली। इन सब बातों के बाद से इस कर्जमाफी पर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।
दरअसल बीते चुनावों में कांग्रेस ने बड़े लम्बे-चौड़े लोकलुभावन वादे किए। मध्य प्रदेश की ही बात करें तो कर्जमाफी के अलावा किसानों का बिजली आधा करना, हर घर में एक बेरोजगार को दस हजार मासिक भत्ता देना, किसान कन्याओं को विवाह हेतु 51 हजार की मदद देना, जैसे अनेक लोकलुभावने वादे कांग्रेस के वचन-पत्र में दर्ज हैं। जाहिर है, कांग्रेस के ज्यादातर वादों को पूरा करने के लिए मोटी रकम की जरूरत होगी।
हालांकि इन वादों को पूरा करने के लिए बजट का प्रबंधन कैसे होगा, इस विषय में पार्टी अभी तक कुछ विशेष नहीं बता सकी है। अभी तो बस कर्जमाफी के एक वादे को पूरा करने की दिशा में कांग्रेस सरकार ने कदम उठाया है, तो उसपर इतने सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में देखना होगा कि बाकी वादों को पूरा करने की दिशा में कमलनाथ की सरकार किस तरह से बढ़ती है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)