केंद्र सरकार के प्रोत्साहन और प्रयास से जल्‍द ही राज्‍य बनेंगे आत्‍मनिर्भर

राज्‍यों की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब ग्रीन शूट्स दिखने लगे हैं। ऊर्जा की खपत बढ़ने लगी है। फर्टीलाइजर की बिक्री बीते साल मई के मुकाबले दो गुनी हुई है। खरीफ की बुआई 12 प्रतिशत ज्यादा हुई। दुपहिया वाहनों का निर्माण कोरोना से पहले के 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है। डिजिटल पेमेंट भी लॉकडाउन से पहले की स्थिति में पहुंच चुका है। मई में टोल में बढ़ोत्तरी भी उत्साहित करने वाली है। जून में निर्यात फिर से पिछले साल के मुकाबले खड़ा हो गया है। ये सभी संकेत हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

कोरोना आपदा में लॉकडाउन से अब अनलॉक की ओर बढ़ चुके देश की आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह प्रति‍बद्ध नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी के तहत प्रधानमंत्री रोजाना अलग-अलग राज्यों के मुख्‍यमंत्रियों व राज्‍यपालों के साथ संवाद जारी रखे हुए हैं।

राज्‍यों के आर्थिक क्षेत्र को पटरी पर लाने के लिए बुधवार को भी करीब दो दर्जन राज्‍यों व केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुखों के साथ प्रधानमंत्री ने चर्चा की जिसमें वह काफी सकारात्‍मक रवैये के साथ राज्‍यों को प्रोत्‍साहित करते दिखे।

उन्‍होंने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को पटरी पर लाने की अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए चर्चा में यह स्‍पष्‍ट कर दिया कि अब पूरी सतर्कता बरतते हुए राज्‍य अपनी-अपनी आर्थिक गतिविधियों को प्रारंभ करें। उन्‍होंने यह भी कहा कि आवश्यकता के हिसाब से विशेष क्षेत्रों में चौबीसों घंटे काम प्रारंभ करने की भी जरूरत है।

मुख्यमंत्रियों से संवाद के दौरान प्रधानमंत्री मोदी

मुख्यमंत्रियों के साथ प्रधानमंत्री की यह छठी डिजिटल बैठक थी। पीएम के संवाद के प्रारंभिक संबोधन में ही सकारात्मक और उत्साहवर्धक रवैया देखने को मिला। मंगलवार को हुई इस बैठक में पंजाब, गोवा, पुडुचेरी, केरल सहित कुल 21 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों व उपराज्यपालों ने प्रधानमंत्री के साथ अपनी बात साझा की। बता दें कि यह वे राज्य हैं जहां कोरोना का असर अब नियं‍त्रण में है।

राज्‍यों की आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब ग्रीन शूट्स दिखने लगे हैं। ऊर्जा की खपत बढ़ने लगी है। फर्टीलाइजर की बिक्री बीते साल मई के मुकाबले दो गुनी हुई है। खरीफ की बुआई 12 प्रतिशत ज्यादा हुई। दुपहिया वाहनों का निर्माण कोरोना से पहले के 70 प्रतिशत तक पहुंच गया है।

डिजिटल पेमेंट भी लॉकडाउन से पहले की स्थिति में पहुंच चुका है। मई में टोल में बढ़ोत्तरी भी उत्साहित करने वाली है। जून में निर्यात फिर से पिछले साल के मुकाबले खड़ा हो गया है। ये सभी संकेत हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

उन्‍होने कहा कि किसी भी संकट से निपटने के लिए टाइमिंग का महत्व होता है। सही समय पर लिए गए फैसले के कारण कोरोना संकट से निपटने में मदद मिली है। जब विश्व में कोरोना पर चर्चा भी नहीं शुरू हुई थी, तब हमने फैसले लेने शुरू कर दिए थे। भविष्य में जब कभी इसका अध्ययन होगा तो यह याद किया जाएगा कि किस तरह संघवाद ने एक साथ मिलकर काम किया।

प्रधानमंत्री ने राज्यों से उम्‍मीद जताई कि जिस एकजुटता के साथ पूरा देश कोरोना के खिलाफ लड़ा, उसी प्रकार आर्थिक क्षेत्र के विकास में भी सब एकजुट होकर एक दूसरे को बढ़ावा देंगे।

कई राज्यों में यातायात पर पाबंदी को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि अनायास यातायात पर रोक ना लगाई जाए। याद दिला दें कि गृह मंत्रालय की ओर से भी राज्यों को कुछ दिनों पहले यह हिदायत दी गई थी कि रात नौ बजे के बाद लगने वाले करफ्यू सामान लेकर जा रहे ट्रकों के लिए नहीं है।

बता दें कि मंगलवार को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से करीब दो दर्जन राज्‍यों के मुख्यमंत्रियों और केंद्रशासित प्रदेशों के राज्यपालों के साथ कोरोना के मुद्दे पर बैठक की थी। बैठकों का यह सिलसिला बुधवार को भी जारी रहा। बुधवार की बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, गुजरात जैसे राज्य हिस्‍सा लिये।

यह तो हुई राज्‍यों की आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की दिशा में प्रधानमंत्री के प्रयास की बात। इससे इतर गरीबों और जरूरतमंदों के मदद की बात की जाए तो इसके लिए भी केंद्र सरकार लगातार युद्ध स्‍तर पर काम कर रही है।

अब तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 42 करोड़ लोगों को 53 हजार करोड़ रुपये की नकदी सहायता दी गई है, साथ ही महिला जन धन खाताधारकों को भी 20,344 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) के तहत दो जून तक  प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों को यह नकदी सहायता दी गई है। यह जानकारी वित्त मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में दी है।

इसके अलावा लॉकडाउन से प्रभावित गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए केंद्र सरकार ने महिलाओं, गरीब वरिष्ठ नागरिकों और किसानों को मुफ्त अनाज और नकद भुगतान की घोषणा भी की है। इसके तहत अब तक प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना के लाभार्थियों के बैंक खातों में 8,488 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए गए हैं और 8.58 करोड़ मुफ्त उज्‍जवला सिलेंडर वितरित किए गए हैं तथा 9.25 करोड़ सिलेंडर अबतक बुक किए जा चुके हैं।

उल्लेखनीय है कि लॉकडाउन के दौरान उज्‍जवला लाभार्थियों को 30 जून तक यानी तीन महीने के लिए मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर वितरित करने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया है।

वित्त मंत्रालय के द्वारा यह जानकारी भी दी गई है कि 2 जून तक सरकार ने 59.23 लाख ईपीएफओ खाताधारक कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने के लिए 895 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। सरकार ने इसमें तीन महीने की अवधि के लिए नियोक्ता और कर्मचारियों का संपूर्ण 24 प्रतिशत पीएफ अंश दान करने का भी निर्णय लिया है।

किसानों के हित की बात की जाए तो केंद्र सरकार ने 16,394 करोड़ की पीएम-किसान निधि की पहली किस्त भी जारी कर दी है और इसे 8.19 करोड़ किसानों के खाते में ट्रांसफर कर दिया गया है। इसके तहत किसानों को सीधे उनके खातों में 2,000 रुपये प्राप्त हुए हैं।

इनके अलावा सरकार ने करीब 2.81 करोड़ बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के लिए 2,814 करोड़ रुपये जारी किए हैं। प्रत्येक लाभार्थी को इस योजना के तहत कुल 1000 रुपये प्राप्‍त हुए जिसमें अनुग्रह राशि के रूप में 500 रुपये की पहली  और दूसरी किस्त भेजी गयी है।

इसके साथ ही 2.3 करोड़ बिल्डिंग व कंस्ट्रक्शन एरिया में काम करने वाले कामगारों को अबतक 4,313 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता बांटी जा चुकी है। उम्‍मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार के इन तमाम प्रयासों के जरिये लोगों को दुबारा खड़े होने का हौसला आएगा और देश एक बार फिर पूर्ववत ढंग से आर्थिक क्षेत्र में प्रगति की राह पर अग्रसर होगा।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)