योग स्वयं प्रधानमंत्री मोदी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे 14 साल तक गुजरात के सीएम रहे, तीन साल से देश के प्रधानमंत्री हैं और बिना थके-बिना रुके काम करते हैं। पीएम मोदी को जानने वाले लोग बताते हैं कि मोदी कितने भी व्यस्त क्यों न हों, देश में हों या विदेश में, कभी भी योग से समझौता नहीं करते। वो चाहते हैं कि योग हर किसी की जीवन का हिस्सा बने।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर ही दुनिया के करीब 175 देश योग की राह पर चल पड़े हैं। दरअसल मोदी का विरोध करने वाले लोगों को लगता है कि योग का मतलब है, अलग-अलग तरह के फीजिकल पोश्चर बनाना है और इसी तरह का दुष्प्रचार वह अंतराष्ट्रीय योग दिवस को लेकर कर रह है। किन्तु, असल में योग का मतलब शरीर और मन को एक निश्चित और संतुलित क्रम में प्रस्थापित करना है। शरीर, दिमाग, आत्मा और आस-पास की चीजों के बीच सामंजस्य और संतुलन बनाने को ही योग कहते हैं। योग असल में एक प्रकार का विज्ञान है, जो आंतरिक ऊर्जा को जागृत करने का काम करता है।
प्रधानमंत्री कहते हैं कि भारत जैसे विकासशील देश अगर स्वास्थ्य की देखभाल पर ध्यान दें, तो हम बहुत बचत कर सकते हैं। रोग निवारक तरीकों में योग सबसे किफायती एवं सुगम है, इसलिए योग को हमारी जिंदगी का हिस्सा बनाना जरूरी है।
प्रधानमंत्री की पहल पर 11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र की आम सभा ने भारत द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया यूएन ने योग की महत्ता को स्वीकारते हुए माना था कि ‘योग मानव स्वास्थ्य व कल्याण की दिशा में एक संपूर्ण नजरिया है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण से की थी, जिसमें उन्होंने कहा था, “योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है, यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है; मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है; विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है, तो आइये एक अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत की दिशा में काम करते हैं”।
प्रधानमंत्री मोदी का यह प्रस्ताव तीन महीने से भी कम समय में संयुक्त राष्ट्र की महासभा में पास हो गया था; साथ ही दुनिया के 175 देशों ने भी इसे सह-प्रस्तावित किया था। संयुक्त राष्ट्र की महासभा में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन भी अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया। पहली बार हुआ था कि किसी देश की संयुक्त राष्ट्र असेंबली में कोई इस तरह की पहल सिर्फ 90 दिनों के भीतर पास हो गई हो। प्रधानमंत्री मोदी का यह आह्वान आज आज पूरी दुनिया में एक अभियान के तौर पर चल रहा है।
इस वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग दिवस के लिए देश से सेल्फी विद डॉटर जैसी अपील की है। उन्होंने लोगों से कहा है कि तीसरे योग दिवस पर अपने परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ योग करें, तस्वीर लें और उसकी तस्वीर भेजें। योग स्वयं प्रधानमंत्री मोदी के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। वे 14 साल तक गुजरात के सीएम रहे, तीन साल से देश के प्रधानमंत्री हैं और बिना थके-बिना रुके काम करते हैं। पीएम मोदी को जानने वाले लोग बताते हैं कि मोदी कितने भी व्यस्त क्यों न हों, देश में हों या विदेश में, कभी भी योग से समझौता नहीं करते। वो चाहते हैं कि योग हर किसी की जीवन का हिस्सा बने।
(लेखक कॉरपोरेट लॉयर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)