यूपी में निवेश के लिए माहौल बनाने में जुटी योगी सरकार !

पांच वर्ष में यूपी में पांच लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा।  इससे बीस लाख रोजगार का सृजन होगा। इसमें बुन्देलखण्ड और पूर्वांचल के इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश सरकार इसे सफल बनाने के लिए कमर कस चुकी है। इसके लिए देश के अनेक स्थानों पर  रोड शो आयोजित किये जा रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में निवेश के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी चर्चा है।  योगी यह भी जानते है  कि मात्र सम्मेलन कर लेने से निवेश आकर्षित नही होता है। इसके लिए पहले से इंतजाम करने होते हैं। इसके पहले ये विषय नौकरशाही की प्राथमिकता में नहीं थे, क्योंकि पिछली सपा सरकार ही निवेश के अनुकूल माहौल बनाने के प्रति गम्भीर नहीं थी।

योगी ने इस परिस्थिति में बदलाव किया है। सिंगल विंडो सिस्टम, ई-टेंडरिंग, मूलभूत सुविधाओं में वृद्धि से स्थिति बदल रही है।  योगी और उनके सहयोगी  इसके लिए एक साथ कई मोर्चों पर कार्य कर रहे हैं।  इसका प्रमाण है कि जिस समय सड़कों के जाल बिछाने पर लखनऊ में कार्यशाला चल रही थी, लगभग उसी समय नई दिल्ली में उत्तर प्रदेश निवेशक सम्मेलन का आयोजन किया गया। देश और प्रदेश की राजधानी में एक साथ विकास का रोडमैप बनाया जा रहा था।  

सांकेतिक चित्र

किसी भी प्रदेश के विकास में निवेश का योगदान बहुत महत्वपूर्ण होता है। इससे जहां औद्योगिक उत्पादन बढ़ता है, वहीं परोक्ष व अपरोक्ष रूप से रोजगार  के अवसर उपलब्ध होते हैं।  कहने को निवेश एक शब्द मात्र है। लेकिन इसमें अनेक तत्व समाहित होते हैं। निवेश के लिए इन सभी तत्वों पर एक साथ कार्य करना होता है।

इनमें से कोई एक तत्व भी कमजोर हुआ तो निवेश का लक्ष्य हासिल करना मुश्किल हो जाता है। इनमें जमीन के अलावा बिजली, पानी, सड़क, अपरिहार्य होते है। इनके होते हुए यदि प्रशासनिक  व्यवस्था ठीक न हुई तो शुरुआत में ही  ब्रेक लग जाता है। पिछली सरकारों के उदाहरण सामने है। उन्होने निवेश के लिए बड़े सम्मेलन किये लेकिन सुविधाओं और व्यवस्था की खामियों के चलते  उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी।  

लखनऊ की कार्यशाला में केंद्रीय  मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल हुए।  केंद्र यहां सड़कों के जाल बिछाने हेतु दो लाख करोड़ रुपये देने पर सहमत हुआ।  यह भी महत्वपूर्ण है कि अब सड़कों के निर्माण में  नई तकनीक का उपयोग होगा, जिससे निर्माण की लागत भी कम हो जाएगी और सड़कों की मजबूती बहुत बढ़ जयेगी।

नितिन गडकरी ने कहा भी है कि नई तकनीक से बनी सड़कें तीन पीढ़ियों तक सुरक्षित रहेंगी।  इसके पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सड़कों पर काफी ध्यान दिया गया था। उस समय  सड़क निर्माण के कीर्तिमान बने थे। इस मामले में नितिन गडकरी का भी नाम लिया जाएगा। उन्हें तब गांवों को सड़क से जोड़ने की जिम्मेदारी मिली थी। इसके बाद एक लाख साठ हजार गांवों को सड़कों से जोड़ा गया। यूपीए  सरकार के समय यह गति बहुत धीमी हो गई थी।  भाजपा सरकार ने उसमें करीब पांच गुना वृद्धि की है।  

नितिन गडकरी

निवेश के अनुकूल व्यवस्था के साथ ही प्रदेश सरकार ने इसके लिए प्रयास प्रारम्भ किये। पांच वर्ष में यहां पांच लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा।  इससे बीस लाख रोजगार का सृजन होगा। इसमें बुन्देलखण्ड और पूर्वांचल के इलाकों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का आयोजन किया जाएगा। प्रदेश सरकार इसे सफल बनाने के लिए कमर कस चुकी है। इसके लिए देश के अनेक स्थानों पर  रोड शो आयोजित किये जा रहे हैं।

दिल्ली के रोड शो में निवेशकों ने गहरी दिलचस्पी दिखाई। बड़ी संख्या में निवेशक शामिल हुए।  इसमें उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने सिंगल विंडो सिस्टम के संबन्ध में विस्तृत जानकारी दी।   इसके अलावा स्टाम्प ड्यूटी, सब्सिडी और कर रियायत जैसे प्रोत्साहन भी दिए जाएंगे। पहले वर्षों तक नक्शा पास नही होता था।  अब निवेशकों को बुला कर नक्शा पास कराया जा रहा है।  अभी तक उद्योग क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए गठित एजेंसियों ने ठीक ढंग से कार्य ही नही किया था।  

इस निवेश अभियान की पूरी निगरानी मुख्यमंत्री स्वयं कर रहे हैं। गुजरात, हिमाचल में चुनावी व्यस्तता के बावजूद वह  निवेश से संबंधित सभी पहलुओं पर ध्यान बनाये रहे। इतना ही नहीं, दोनों प्रदेशों के निवेशकों  से भी उन्होने संवाद किया। इनमें से अनेक लोगों ने उत्तरप्रदेश में निवेश के प्रति दिलचस्पी दिखाई है।  योगी आदित्यनाथ की विकास के प्रति कटिबद्धता और उनके सहयोगियों द्वारा चल रहे प्रयास उत्साहजनक हैं। यह मानना चाहिए कि अगले कुछ समय में निवेश के जमीनी लक्षण दिखाई देने लगेंगे।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)