प्रिंयका गांधी यूपी में बस भेजने का प्रस्ताव कर रही थीं, लेकिन अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों पर उनका ध्यान नहीं था, जहां से ये मजदूर पलायन कर रहे थे। कांग्रेस को लगा होगा कि योगी आदित्यनाथ को इस मुद्दे पर उलझा दिया जाएगा। लेकिन कांग्रेस का दांव उल्टा पड़ा है। योगी कांग्रेस के चक्कर में पड़े ही नहीं, उन्होंने अपना पूरा ध्यान श्रमिकों की सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी पर केंद्रित रखा। उनके इन प्रयासों से इक्कीस लाख प्रवासी श्रमिकों की उत्तर प्रदेश में सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी संभव हो चुकी है। यह क्रम लगातार जारी है।
लॉक डाउन में बड़ी संख्या में श्रमिकों का पलायन कई दिग्गजों के लिए राजनीति का अवसर था। इनके निशाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ थे। इन सभी ने योगी के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। लेकिन इनका रुख महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली की तरफ नहीं था।
पलायन तो इन्हीं राज्यों से हो रहा था। ऐसे में प्रश्न उन प्रदेश सरकारों से होना चाहिए था। क्योंकि ये राज्य सरकारें इन श्रमिकों को राहत देने में विफल रही थीं। लेकिन कांग्रेस जैसी पार्टियों को तो उत्तर प्रदेश में ही राजनीति करनी थी।
श्रमिकों के मुद्दे से ये अपने लिए राजनीतिक जमीन तलाश रही थीं। प्रिंयका गांधी यूपी में बस भेजने का प्रस्ताव कर रही थीं, लेकिन अपनी पार्टी के शासन वाले राज्यों पर उनका ध्यान नहीं था, जहां से ये मजदूर पलायन कर रहे थे।
कांग्रेस को लगा होगा कि योगी आदित्यनाथ को इस मुद्दे पर उलझा दिया जाएगा लेकिन उसका दांव उल्टा पड़ गया। योगी कांग्रेस के चक्कर में पड़े ही नहीं, उन्होंने अपना पूरा ध्यान श्रमिकों की सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी पर केंद्रित रखा। उनके इन प्रयासों से इक्कीस लाख प्रवासी श्रमिकों की उत्तर प्रदेश में सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी संभव हो चुकी है। यह क्रम लगातार जारी है।
करीब बारह सौ श्रमिक स्पेशल ट्रेनें प्रवासी श्रमिकों को लेकर प्रदेश में आ चुकी हैं। बसों एवं अन्य साधनों से भी प्रवासी श्रमिक आये हैं। योगी इन श्रमिकों की सुविधाओं पर भी ध्यान दे रहे हैं। अधिकारियों को उनका सख्त निर्देश है कि राज्य की सीमा में प्रवेश करते ही प्रवासी श्रमिकों को सबसे पहले भोजन व पेयजल उपलब्ध कराया जाए। उनकी सकुशल प्रदेश वापसी के साथ ही उन्हें क्वारंटीन सेन्टर में सुरक्षित पहुंचाया जा रहा है जहां उन्हें फूड पैकेट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
थर्मल स्कैनिंग के बाद स्वस्थ पाए गए श्रमिकों को राशन किट उपलब्ध कराते हुए होम क्वारंटीन के लिए घर भेजा जा रहा है। प्रत्येक जरूरतमंद को भोजन एवं खाद्यान्न उपलब्ध हो, यह सुनिश्चित किया जा रहा है। होम क्वारंटीन के दौरान प्रवासी श्रमिकों को एक हजार रुपए का भरण पोषण भत्ता भी देने की व्यवस्था की गयी है।
होम क्वारंटीन किए गए लोगों की सर्विलांस के लिए गठित निगरानी समितियों में आशा वर्कर के साथ अन्य सभी सदस्यों को सक्रिय रखा गया है। होम क्वारंटीन में रखे गए लोगों के घर के बाहर इस सम्बन्ध में अनिवार्य रूप से पोस्टर लगाया जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ श्रमिकों के वर्तमान पर ही ध्यान नहीं दे रहे हैं, बल्कि उनके लिए भविष्य की भी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है। क्वारंटीन सेन्टर में प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग की जा रही है जिससे होम क्वारंटीन पूरा करने के पश्चात उनके रोजगार की व्यवस्था की जा सके। इसके तहत पात्र एवं इच्छुक लोगों के जॉब कार्ड तैयार किए जाएंगे। राज्य में वापस आए प्रवासी नर्सिंग एवं पैरामेडिकल कर्मियों की ट्रेनिंग कराई जाएगी।
इसी के साथ मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को लॉक डाउन के नियमों का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए हैं। संक्रमण से बचाव हेतु मण्डी स्थलों पर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा। एक्सप्रेस वेज़ पर पेट्रोलिंग बढ़ाने तथा एम्बुलेंस की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।
अस्पतालों में जनरल ओपीडी सेवाओं को छोड़कर, संक्रमण से सुरक्षा सम्बन्धी सभी उपाय लागू करते हुए इमरजेंसी सेवाओं का संचालन तथा आवश्यक ओपरेशन की कार्यवाही की जा रही है।
टेस्टिंग क्षमता को दस हजार टेस्ट प्रतिदिन तक पहुंचाने का प्रयास भी जारी हैं। शीघ्र टेस्टिंग परिणाम प्राप्त करने के लिए ट्रूनैट मशीन जैसे उपकरणों का शीघ्रता से प्रोक्योरमेंट करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। इस महीने के अन्त तक लेवल वन, टू व थ्री कोविड चिकित्सालयों में कुल बेड की संख्या को बढ़ाकर एक लाख करने का लक्ष्य रखा गया है।
सरकार की यह भी योजना है कि कृषक उत्पादक संगठन तथा महिला स्वयं सहायता समूहों को सुदृढ़ किया जाए जिससे यह स्थानीय स्तर पर खाद्यान्न का भण्डारण कर सकें।
कुल मिलाकर स्पष्ट है कि मजदूरों की वापसी की व्यवस्था से लेकर कोविड-19 से अन्य मोर्चों पर लड़ने तक योगी सरकार की कार्यकुशलता और प्रतिबद्धता एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत कर रही है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)