क़ानून व्यवस्था के मामले में योगी सरकार के मॉडल से अन्य राज्यों को लेनी चाहिए प्रेरणा

किसी भी प्रदेश की कानून व्यवस्था, नागरिक प्रशासन और नागरिकों में सुरक्षा का माहौल आदि पुलिस बल से ही संभव होता है। इसका प्रभाव प्रदेश के आर्थिक विकास, शांति, साक्षरता और समृद्धि पर सीधे तौर पर देखने को मिलता है। जब कानून व्‍यवस्‍था का कड़ाई से क्रियांन्‍वयन किया जाता है, तभी नागरिकों का राज्‍य सरकार पर भरोसा बढ़ता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार सुधारों के क्रम में तेजी से कदम बढ़ा रही है, जिसे अन्‍य राज्‍यों को भी सीख के तौर पर अपनाना चाहिए।

योगी सरकार के आने के बाद से ही यूपी अपनी क़ानून-व्यवस्था के लिए चर्चा में बना रहा है। राज्‍य की क़ानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार किस तरह सजग है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां के नामी गैंगस्टर और गुंडे जान बचाने के लिए दर-ब-दर छिपते फिर रहे हैं।

योगीराज में चुस्त-दुरुस्त हुई यूपी की क़ानून व्यवस्था (सांकेतिक चित्र, साभार : The Economic Times)

दरअसल क्राइम के मामले में कई दशकों से बदनाम रहे यूपी की कानून व्‍यवस्‍था को दुरुस्‍त करने के लिए राज्‍य सरकार ने जैसे को तैसा वाली रणनीति अपना ली है। सूबे में बढ़ते संगठित अपराधों को रोकने के लिए योगी सरकार हर संभव प्रयास में है और आम जनता योगी सरकार के प्रयासों को सिर आंखों पर ले रही है।

योगी सरकार के कार्यों की बात करने से पूर्व प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा की चुनौतियों पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश लम्बे समय  से काफी संवेदनशील प्रदेश रहा है। भौगोलिक ही नहीं, धार्मिक, राजनीतिक आधार पर भी यह प्रदेश आजादी के बाद से ही तमाम समस्‍याओं से जूझता रहा है।

यूपी वासी आए दिन अपराधियों और उनके सरगनाओं के बीच गैंगवार, संगठित अपराध और सामुदायिक टकराव, नेपाल बॉर्डर से सटे सीमावर्ती इलाकों से घुसपैठ और तस्करी,  नक्सल क्षेत्र और आतंकी घटनाओं से खुद को असुरक्षित महसूस करते रहे हैं। कई सरकारें आई और गईं, लेकिन इन तमाम समस्‍याओं से निजात मिलना तभी संभव था जब राज्‍य में विशेष सुरक्षा प्रणाली लाई जाए जो आम जनता के हित में काम करे और उनके भरोसे पर खरा उतरे।

क़ानून-व्यवस्था की बदहाली का शिकार रहे इस राज्‍य में ज्यादातर सरकारें ऐसी आईं जो अपने हितों को देखते हुए अपराधियों का धरपकड़ करती रहीं। लेकिन आम जनता के ऊपर हो रहे अन्‍याय को थामने का जिम्‍मा किसी सरकार ने नहीं लिया।

क्राइम रोकने के नाम पर धर्म-जाति के नाम लिए जाते रहे। संगठित अपराधियों और गुंडों का अपराध उनकी जाति के आधार पर तय किया जाना आम बात थी। जो जितना बड़ा क्रिमिनल था उसे राजनीतिक पार्टियों ने उतना अधिक संरक्षण दिया। यूपी में गुंडाराज अपने पीक पर था जबकि जनता हताश निराश थी।

ऐसे में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा के चुनावी एजेंडे में जाति और धर्म से परे प्रदेश की कानून व्यवस्था को सर्वोपरि रखा गया तो लोगों ने योगी सरकार पर भरोसा किया। इतने बड़े जनमानस के भरोसे को योगी आदित्यनाथ ने स्‍वीकारा और प्रदेश का मुख्यमंत्री पद ग्रहण कर सबसे पहले यहां की पुलिस व्‍यवस्‍था में सुधार की ठानी।

तमाम तरह की मीटिंग की गईं और विशेषज्ञों से राय ली जाती रही। सुरक्षा व्‍यवस्‍था की गंभीरता को संज्ञान में लेते हुए कई सुझावों पर अमल किया गया। योगी आदित्‍यनाथ ने अपने कार्यकाल के शुरूआती दिनों में ही प्रदेश में आपराधिक घटनाओं और अपराधियों पर कार्रवाई शुरू की, जिससे अपराध जगत में हड़कंप मचने लगा।

अपराधियों में कायम हुआ योगी सरकार और यूपी पुलिस का भय (सांकेतिक चित्र, साभार : patrika)

सूबे में अपराधियों की गिरफ्तारी और एनकाउंटर आम बात हो गई। अपराध जगत में यूपी पुलिस और योगी सरकार का भय कायम हुआ। कहा जा सकता है कि इस तरह अपराधियों पर नकेल कसने में योगी सरकार काफी हद तक कामयाब रही जिसमें जनता का भी पूरा समर्थन उसे मिलता रहा।

राज्य में अपराधमुक्‍त समाज बनाने और अनुशासन कायम रखने के लिए यह बहुत आवश्‍यक था कि सूबे के संगठित अपराधियों का राजनीतिक संरक्षण समाप्‍त हो,  आतंकी वारदातों से निपटने के लिए खुफिया तंत्र दुरुस्‍त हो। साथ ही, सांप्रदायिक दंगे व तनाव को दूर करने के लिए केंद्र के साथ बेहतर समन्वय हो जिससे प्रदेश में आंतरिक शांति कायम हों।

इन्‍हीं बिंदुओं को अपनाते हुए योगी सरकार ने कई स्तरों पर काम किया। इसके तहत प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को आधुनिक और प्रगतिशील बनाने की दिशा में अनेक नए कदम उठाए गए जबकि कई कार्य अब भी जारी हैं।

उदाहरण के तौर पर कुछ महीने पहले सरकार ने स्मार्ट पुलिसिंग और पुलिस सुधार की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए लखनऊ व नोएडा में कमिश्नर प्रणाली की शुरुआत की। दरअसल इन शहरों में बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां और बहुराष्ट्रीय कंपनियां होने की वजह से अन्य राज्यों से लाखों लोग आते हैं। ऐसे में इन बड़े शहरों की सुरक्षा के मानकों में बहुत बड़ा अंतर आ जाता है जो कई मायनों में चुनौतिपूर्ण होते हैं।

ऐसे में इन शहरों को कमिश्नर प्रणाली की निगरानी मिलने से यहां की प्रशासनिक और कानून व्यवस्था को एकीकृत रूप में संभालने में आसानी हुई है। इसी प्रकार योगी सरकार ने पुलिस व्यवस्था की पारंपरिक प्रणाली में भी कई बदलाव किए, जिससे पुलिस सुधार की दिशा में प्रगतिशील तरीकों को अपनाया जा सके।

कम्युनिटी पुलिसिंग मॉडल में भी यूपी पुलिस के कार्य सराहनीय हैं। यही नही, जिला अपराध रिकार्ड ब्यूरो, राज्य अपराध रिकार्ड ब्यूरो, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो और संगठित अपराध सूचना प्रणाली के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने का प्रयास भी जारी है।

खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए सभी विशेष बलों और पुलिस इकाइयों के साथ व्‍यापक रूप से काम किया जा रहा है। योगी सरकार द्वारा यूपीएसएसएफ का गठन और पुलिस व्यवस्था में सुधार एक महत्‍वपूर्ण कदम है जिसे अन्य राज्यों को भी अपनाना चाहिए।

किसी भी प्रदेश की कानून व्यवस्था, नागरिक प्रशासन और नागरिकों में सुरक्षा का माहौल आदि पुलिस बल से ही संभव होता है। इसका प्रभाव प्रदेश के आर्थिक विकास, शांति, साक्षरता और समृद्धि पर सीधे तौर पर देखने को मिलता है। जब कानून व्‍यवस्‍था का कड़ाई से क्रियांन्‍वयन किया जाता है, तभी नागरिकों का राज्‍य सरकार पर भरोसा बढ़ता है। ऐसे में उत्तर प्रदेश पुलिस लगातार सुधारों के क्रम में तेजी से कदम बढ़ा रही है, जिसे अन्‍य राज्‍यों को भी सीख के तौर पर अपनाना चाहिए।

(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)