कोरोना आपदा की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रबंधन की मिसाल कायम की थी। उन्होंने इसके लिए टीम इलेवन का गठन किया। जनपद और गांव स्तर तक योगी आदित्यनाथ ने स्वयं संवाद स्थापित किया। इनमें जनपद के अधिकारियों से लेकर ग्राम प्रधान शामिल थे। प्रत्येक जिले में कोविड अस्पताल स्थापित किये गए, एकीकृत कमांड बनाई गई, कम्युनिटी किचेन का संचालन शुरू हुआ, गरीबों को भरण पोषण भत्ता के साथ राशन किट प्रदान किये गए। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य था।
देश के किसी मुख्यमंत्री की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा गर्व का विषय होती है। कुछ समय पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने योगी आदित्यनाथ के कोरोना आपदा प्रबंधन की प्रशंसा की थी। उसके द्वारा अनेक देशों को इससे प्रेरणा लेने का सुझाव दिया गया था। इनमें यूरोप के विकसित देश भी शामिल थे। जहां संसाधनों की कमी नहीं थी।
इनकी जनसंख्या उत्तर प्रदेश से बहुत कम थी, फिर भी इनके यहां कोरोना का प्रकोप ज्यादा था। इसके बाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध टाइम मैगजीन ने भी अपने लेख में योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा की है।।
कोरोना आपदा की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रबंधन की मिसाल कायम की थी। उन्होंने इसके लिए टीम इलेवन का गठन किया। जनपद और गांव स्तर तक योगी आदित्यनाथ ने स्वयं संवाद स्थापित किया।
इनमें जनपद के अधिकारियों से लेकर ग्राम प्रधान शामिल थे। प्रत्येक जिले में कोविड अस्पताल स्थापित किये गए, एकीकृत कमांड बनाई गई, कम्युनिटी किचेन का संचालन शुरू हुआ, गरीबों को भरण पोषण भत्ता के साथ राशन किट प्रदान किये गए। ऐसा करने वाला उत्तर प्रदेश भारत का पहला राज्य था।
इतना ही नहीं, दुनिया के सभी विकसित देश इस मामले में उत्तर प्रदेश से बहुत पीछे रह गए थे। चालीस लाख प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षित व सम्मान के साथ घर वापसी सुनिश्चित की गई। उनके रोजगार का भी अभूतपूर्व आभियान चलाया गया। इन्हीं तथ्यों के आधार पर टाइम मैगजीन ने योगी आदित्यनाथ के कोरोना नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की है।
उत्तर प्रदेश की जनसंख्या का भी उल्लेख किया गया। इस आधार पर जब अमेरिका व यूरोपीय देशों के साथ तुलना होती है, तब उत्तर प्रदेश इनसे बहुत आगे दिखाई देता है। टाइम मैगजीन के लेख में प्रदेश में कोरोना संक्रमण से हुई मौतों पर नियंत्रण और रिकवरी दर में लगातार वृद्धि को लेकर सरकार के प्रयासों की तारीफ की गई है।
कहा गया है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य ढांचे की प्रतिकूल स्थितियों को न्यूनतम समय में मुस्तैद किया। कोरोना से मुकाबले के लिए व्यापक व्यवस्था की गई। जिस तरह से कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए कदम उठाए गए, वह सभी के लिए अतुलनीय उदाहरण है।
फरवरी में पहला मामला सामने आने के बाद योगी ने स्थिति की गम्भीरता का आकलन किया। उसके अनुरूप स्वास्थ्य व्यवस्था में नए इंतजाम किए गए। सुनियोजित रणनीति के माध्यम से स्थिति का मुकाबला किया गया। अधिकारियों के साथ मिलकर जिस प्रकार जरुरी कदम उठाये गए, वह प्रशंसनीय है। उस समय तक भारत के अन्य राज्य व विकसित देश भी कोई कारगर कदम नहीं उठा सके थे। तब योगी आदित्यनाथ ने लड़ाई का पूरा खाका तैयार कर लिया।
बाइस मार्च को जनता कर्फ्यू घोषित किया गया था। जबकि योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले तीन दिन का लॉक डाउन तत्काल घोषित किया था। यह उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है। उन्होंने स्थितियों का आकलन कर लिया था, जिससे लॉकडाउन के दौरान आम लोगों को आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई बाधित न हो।
महामारी फैलने लगी उस वक्त राज्य में एक ही प्रयोगशाला थी, जिसकी क्षमता महज साठ नमूने प्रतिदिन की थी। इस समय इनकी संख्या सवा तीन सौ से अधिक है। इनके माध्यम से प्रदेश में पौने दो लाख कोरोना नमूनों की जांच प्रतिदिन की जा सकती है। सर्वाधिक कोरोना टेस्ट का रिकॉर्ड भी उत्तर प्रदेश के नाम ही है।
योगी के प्रयासों से प्रदेश में अब पौने सात सौ कोविड अस्पताल निर्मित किये गए। इनमें तीनो लेवल के अस्पताल शामिल है। उत्तर प्रदेश में कोरोना से हुई मौतों पर नियंत्रण और रिकवरी दर में चौरानवे प्रतिशत से अधिक से अधिक है।
टाइम मैगजीन ने कोरोना नियंत्रण की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कान्ट्रेक्ट ट्रेसिंग को लेकर किए गए कार्यों की भी प्रशंसा की है। योगी आदित्यनाथ ने घर घर जाकर लक्षण वाले मरीजों की जांच के आदेश दिए थे। कान्ट्रेक्ट ट्रेसिंग की का इंतजाम भी अभूतपूर्व था। इंटीग्रेटेड कमाण्ड ऐण्ड कण्ट्रोल सेण्टर प्रदेश के सभी जिलों में बनाए गए।
जाहिर है, कोरोना काल में यूपी जैसे बड़े और चुनौतीपूर्ण राज्य को जिस प्रकार योगी सरकार ने संभाला है, उसने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। यही कारण है कि आज विश्व भर में उनकी सराहना हो रही है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)