योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद तमाम लोग ऐसी आशंका भी जता रहे थे कि उन्हें शासन-प्रशासन की समझ नहीं है, इसलिए वे कामयाब मुख्यमंत्री नहीं साबित होंगे। लेकिन हम देख सकते हैं कि आज सफलतापूर्वक अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद पुनः बड़े बहुमत से निर्वाचित होकर सत्तारूढ़ हुए मुख्यमंत्री योगी ऐसी आशंकाओं को न केवल गलत सिद्ध कर चुके हैं, अपितु अब तो योगी का कुशल प्रशासन कई मामलों में विश्व का भी ध्यान खींचने लगा है। योगी के कामयाब कोविड प्रबंधन की वैश्विक सराहना इसका उदाहरण है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने वक्तव्यों में अक्सर सुशासन की बात करते हैं। भाजपा की राज्य सरकारों के लिए भी उनका यही संदेश होता है कि केंद्र सरकार के कार्यों से देश में सुशासन के प्रति जो आशा जगी है, राज्य सरकारें भी उसे आगे बढ़ाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। सुशासन की इस कसौटी पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार देश के सभी राज्यों में अग्रणी नजर आती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व में आज यूपी न केवल ‘बीमारू’ राज्य की छवि से बाहर आया है, अपितु विकास के पथ पर सतत अग्रसर रहते हुए सुशासन का अपना एक सफल मॉडल भी पेश कर रहा है।
किसी भी राज्य-व्यवस्था में कानून व्यवस्था और विकास, सुशासन के दो प्रमुख मानदंड होते हैं, जिनके आधार पर राज्य की कार्यप्रणाली और प्रगति का मूल्यांकन किया जा सकता है। दुर्भाग्यवश देश का सबसे बड़ा और राजनीतिक रूप से सबसे अधिक सफल राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश दशकों से इन दोनों ही कसौटियों पर विफल सिद्ध हुआ था।
कांग्रेस से लेकर सपा-बसपा की जाति-मज़हब की राजनीति तथा भ्रष्टाचार और गुंडाराज पर आधारित शासन ने इस राज्य का बंटाधार करके रख दिया था। 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो उनके समक्ष राज्य की कानून व्यवस्था से लेकर ठप्प पड़े विकास की चुनौती मुंह बाए खड़ी थी।
योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद तमाम लोग ऐसी आशंका भी जता रहे थे कि उन्हें शासन-प्रशासन की समझ नहीं है, इसलिए वे कामयाब मुख्यमंत्री नहीं साबित होंगे। लेकिन हम देख सकते हैं कि आज सफलतापूर्वक अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद पुनः बड़े बहुमत से निर्वाचित होकर सत्तारूढ़ हुए मुख्यमंत्री योगी ऐसी आशंकाओं को न केवल गलत सिद्ध कर चुके हैं, अपितु अब तो योगी का कुशल प्रशासन कई मामलों में विश्व का भी ध्यान खींचने लगा है। योगी के कामयाब कोविड प्रबंधन की वैश्विक सराहना इसका उदाहरण है।
मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में आज उत्तर प्रदेश में सुशासन के उक्त दोनों मानदंड निरंतर सुदृढ़ हो रहे हैं तथा राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। कानून व्यवस्था का विषय जो उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या था, उसे पूरी तरह से चाक-चौबंद करने का काम योगी सरकार में हुआ है।
आज प्रदेश के अपराधियों में इस कदर भय व्याप्त हुआ है कि वे स्वयं गिरफ्तारी देने थाणे पहुँच जाते हैं ताकि उनका एनकाउंटर न हो जाए। यही नहीं, वर्ष 2017 से लेकर अब तक माफिया और पेशेवर अपराधियों से लगभग साढ़े चार हजार करोड़ रुपये से अधिक की अवैध सम्पत्ति जब्त करके उनकी कमर तोड़ने का काम भी योगी सरकार ने किया है।
माफिया और अपराधियों के अवैध ठिकानों पर बुलडोजर चलवाने की योगी सरकार की नीति ने तो राष्ट्रीय स्तर पर खासा असर किया है। अब तो हर राज्य में अपराधियों से ऐसे ही निपटने की मांग भी सुनाई देने लगी है। आंकड़ों की मानें तो अपने दूसरे कार्यकाल के केवल 6 महीनों में ही मुख्यमंत्री योगी की सरकार ने माफिया और अपराधियों की 1162 करोड़ रुपये की अवैध सम्पत्ति को जब्त अथवा ध्वस्त करने का काम किया है।
इसी क्रम में, दंगा करने वालों के सार्वजनिक पोस्टर लगवाना हो या उनसे सरकारी नुकसान की भरपाई करवाना, ऐसे क़दमों का ही परिणाम है कि एनसीआरबी की हाल ही में जारी रिपोर्ट में यूपी को दंगामुक्त प्रदेश बताया गया। अन्य आपराधिक घटनाओं में भी कमी आने के संकेत मिले हैं। यह मुख्यमंत्री योगी के सख्त प्रशासन की चाक-चौबंद कानून व्यवस्था को ही प्रमाणित करता है।
राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार आने के परिणामस्वरूप विकास को भी गति मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर की बनाने का लक्ष्य लेकर बढ़ रहे हैं, तो देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते उत्तर प्रदेश अपनी अर्थव्यवस्था को 2027 तक 1 ट्रिलियन डॉलर का बनाने की दिशा में लक्ष्य तय करके बढ़ रहा है।
2017 में अखिलेश यादव की सरकार कुल ढाई लाख करोड़ रुपए का बजट छोड़कर गई थी, अब लगभग पांच साल में ही यह साढ़े छह लाख करोड़ रुपए तक पहुँच गया है। वहीं छोटे और मझोले उद्योगों के क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन हुआ है। यही नहीं, कभी जो निवेशक असुरक्षा के कारण उत्तर प्रदेश में जाने से कतराते थे, अब कानून व्यवस्था की स्थिति चाक चौबंद हो जाने के कारण राज्य में निवेश के लिए आगे आने लगे हैं।
इन्वेस्टर्स समिट में होने वाली निवेश की घोषणाएं इसका प्रमाण हैं। योगी सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि राष्ट्रीय कारोबारी सुगमता रैंकिंग में जो यूपी कभी शीर्ष दस राज्यों में भी नहीं होता था, आज देश के शीर्ष पांच राज्यों में जगह बना चुका है। नए दौर के मुताबिक अब राज्य को ‘डेटा सेंटर हब’ बनाने की तैयारी की जा रही है, जिससे हजारों की तादाद में रोजगार सृजन होने की संभावना है। रक्षा औद्योगिक गलियारे की महत्वाकांक्षी परियोजना पर भी काम जारी है। इस परियोजना से रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया से राज्य में विद्यमान विशाल एमएसएमई आधार को लाभ मिलेगा। इस परियोजना में 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आने की संभावना जताई जा रही है।
इसके अलावा, इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन, आईटी, खाद्य प्रसंस्करण, डेयरी, वस्त्रोद्योग, पर्यटन और फिल्म आदि पारंपरिक निवेश के क्षेत्रों सहित सौर ऊर्जा, जैव ईंधन और नागरिक उड्डयन के क्षेत्र में भी निवेश की संभावनाओं को प्रोत्साहित करने का प्रयास सरकार कर रही है। कानून व्यवस्था और विकास के अतिरिक्त जन-संपर्क और सुनवाई, पारदर्शिता, भ्रष्टाचार पर अंकुश जैसे मामलों में भी योगी सरकार का प्रदर्शन बेहतर ही प्रतीत होता है।
कुल मिलाकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन में उत्तर प्रदेश कानून-व्यवस्था और विकास के मानदंडों को मजबूती से थामकर सुशासन की परिकल्पना को सिद्ध करते हुए सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। सुशासन का यह योगी मॉडल आज देश की अन्य राज्य सरकारों के लिए भी प्रेरणा देने वाला है कि यदि नेतृत्व में दृढ़ इच्छशक्ति हो तो कितनी भी कठिन से कठिन और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच भी सुशासन की स्थापना का मार्ग निकाला जा सकता है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)